1800 साल पहले कौन से ब्रांड की शराब पीते थे भारतीय?
1800 साल पहले कौन से ब्रांड की शराब पीते थे भारतीय?
कवि कालिदास ने अपनी किताब रघुवंश महाकाव्य में बताया है कि 1800 साल पहले भारतीय कौनसी शराब पीते थे और अगर हैंगओवर हो जाए तो उसको कैसे उतारा जाए
कवि कालिदास ने अपनी किताब रघुवंश महाकाव्य में बताया है कि 1800 साल पहले भारतीय कौनसी शराब पीते थे और अगर हैंगओवर हो जाए तो उसको कैसे उतारा जाए
कवि कालिदास ने बताया कि उस समय लोग ज्यादातर तीन तरह की शराब पिया करते थे
कवि कालिदास ने बताया कि उस समय लोग ज्यादातर तीन तरह की शराब पिया करते थे
उन्होंने बताया कि 1800 साल पहले लोग फल और फूलों से बनी शराब पीते थे
उन्होंने बताया कि 1800 साल पहले लोग फल और फूलों से बनी शराब पीते थे
उनमें से एक शराब का नाम नारिकेलासव था, जो नारियल से बनाई जाती थी
उनमें से एक शराब का नाम नारिकेलासव था, जो नारियल से बनाई जाती थी
दूसरी शराब का नाम सिधु था. इस शराब को गन्ने का इस्तेमाल करके बनाया जाता था
दूसरी शराब का नाम सिधु था. इस शराब को गन्ने का इस्तेमाल करके बनाया जाता था
तीसरी शराब माधुक थी. यह शराब फूलों का रस निकालकर बनाई जाती थी
तीसरी शराब माधुक थी. यह शराब फूलों का रस निकालकर बनाई जाती थी
इन सब के अलावा उन शराब में महक डालने के लिए भी फल और फूलों का उपयोग किया जाता था
इन सब के अलावा उन शराब में महक डालने के लिए भी फल और फूलों का उपयोग किया जाता था
उस समय शराब में खुशबू लाने के लिए आम और पटक के फूलों का इस्तेमाल किया जाता था
उस समय शराब में खुशबू लाने के लिए आम और पटक के फूलों का इस्तेमाल किया जाता था
18वीं सदी में जब लोगों को शराब पीने के बाद हैंगओवर हो जाता था तो, उसे उतारने के लिए गन्ने का जूस पिया करते थे
18वीं सदी में जब लोगों को शराब पीने के बाद हैंगओवर हो जाता था तो, उसे उतारने के लिए गन्ने का जूस पिया करते थे