Raddi Business: इस पंक्ति को सही कर दिखाया है स्कॉटलैंड में रहने वाली भारतीय मूल की उद्यमी पूनम गुप्ता ने। कहते हैं कड़ी मेहनत, लगन और जुनून से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है और बिजनेस क्षेत्र में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां छोटी शुरुआत से ऊंचाइयों तक पहुंचे गए हैं। भारतीय मूल की उद्यमी पूनम गुप्ता का पेस्टी (Raddi कागज) खरीदने का आइडिया इतना कमाल का रहा कि आज वह 800 करोड़ रुपये बाजार मूल्य वाली कंपनी की मालिक हैं।
स्कॉटलैंड की रहने वाली बिजनेसवुमन पूनम गुप्ता जो दिल्ली से यहां आई थीं। पूनम गुप्ता ने यहां लेडी श्रीराम कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ऑनर्स किया है। फिर एमबीए करने के बाद उन्होंने नौकरी की तलाश शुरू की, लेकिन कहीं नहीं मिली। वर्ष 2002 में उनकी शादी शाही पुनित गुप्ता से हुई जो स्कॉटलैंड में रहते हैं और काम करते हैं। शादी के बाद पूनम भी अपने पति के साथ स्टॉकलैंड चली गईं और वहां नौकरी की तलाश करने लगीं। लेकिन अनुभव की कमी के कारण उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इसी बीच उनके दिमाग में एक आइडिया आया.
यह विचार कार्यालयों में पेस्टी (Raddi कागज) के ढेर देखकर आया
पूनम गुप्ता का विचार पेस्टी (Raddi कागज) के ढेर से संबंधित था। विवरण के अनुसार जब पूनम गुप्ता नौकरी की तलाश में एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर जा रही थीं तो उन्हें ज्यादातर दफ्तरों में पेस्टी (Raddi कागज) के ढेर दिखे, तब उन्होंने इस पर शोध करना शुरू किया और सोचा कि, यह पेस्टी (बेकार कागज) है। रीसायकल करें और नया बनाएं। उन्होंने अपना पूरा ध्यान इस विचार पर दिया. स्कॉटिश सरकार द्वारा चलाई गई एक योजना के तहत पूनम गुप्ता को 1,00,000 रुपये का फंड भी मिला और इस फंड के माध्यम से पूनम गुप्ता ने नौकरी के बजाय अपना खुद का स्क्रैप व्यवसाय शुरू करने की योजना बनाई है।
1 लाख से 800 करोड़ रुपए तक की यात्रा
साल 2003 में यानी आज से 20 साल पहले पूनम गुप्ता ने सरकार द्वारा दी गई 1 लाख रुपये की मदद से पीजी पेपर नाम से अपना खुद का कचरा रीसाइक्लिंग स्टार्टअप शुरू किया था। बेकार कागज (Raddi ) खरीदकर उसे अपनी कंपनी में रिसाइक्लिंग के जरिए बेहतर गुणवत्ता के नए कागज में बदलने और उसकी आपूर्ति करने का उनका विचार सफल रहा और उनका व्यवसाय भी फल-फूल गया। 20 साल के इस सफर में उन्हें लगातार सफलता मिलती रही और 1 लाख 800 करोड़ रुपए से शुरू हुई उनकी कंपनी आज 800 करोड़ रुपए की हो गई है।
पूनम गुप्ता का कारोबार पूरी दुनिया में फैला
शुरुआत में पूनम गुप्ता का पेस्टी (Raddi कागज) खरीदने का व्यवसाय स्थानीय था और जब मांग बढ़ी तो उन्होंने पूरे स्कॉटलैंड में विस्तार किया। भारतीय मूल की व्यवसायी महिला ने तब से पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने पेस्टी (अपशिष्ट कागज) व्यवसाय को यूरोप और अमेरिका तक फैलाया। पीजी पेपर का इन देशों की प्रमुख कंपनियों के साथ अनुबंध है और वह यहां से पेस्टी (Raddi कागज) स्क्रैप खरीदता है। रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल पीजी पेपर का कारोबार दुनिया के 60 देशों में फैला हुआ है।
साल 2003 में अपने घर से रद्दी कागज को रीसाइकल करने का काम पूनम ने एक लाख रुपये लगाकर शुरू किया. उन्होंने भारत से दो कंटेनर कागज मंगाया. पहले ही काम से उन्हें जबरदस्त मुनाफा हुआ. इसके बाद तो पूनम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. पूनम गुप्ता दुनिया के कई देशों से रद्दी कागज खरीदती हैं और उसकी रीसाइकलिंग कर अच्छी क्वालिटी का पेपर तैयार कर उसे दुनिया भर के देशों में बेचती हैं. उनकी कंपनी पीजी पेपर का बिजनेस आज 60 देशों में फैला हुआ है.
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