High Court ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि गांव में ज्यादातर महिला प्रधान रबर स्टाम्प की तरह काम करती हैं, उनका काम उनके पति करते हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा कि पतियों का महिला प्रधान के काम में हस्तक्षेप करना गलत है।
High Court ने धानपति यानी एक महिला ग्राम प्रधान के पति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई पर कहा कि महिला प्रधानों के काम में पतियों का इस तरह का हस्तक्षेप राजनीति में महिलाओं के लिए आरक्षण के उद्देश्य को कमजोर करता है।
High Court ने लगाई फटकार
हाईकोर्ट के जज ने कहा कि महिला ग्राम प्रधान के पति के पास गांव के कामकाज में हस्तक्षेप करने की कोई व्यवसाय नहीं है और ‘प्रधानपति’ का इस्तेमाल एक महिला प्रधान के पति के लिए किया जाता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां एक महिला प्रधान केवल रबर स्टांप की तरह काम करती है और उसके सारे काम उसके पति यानी ‘प्रधानपति’ करता है।
गाँव प्रधानों पर आ सकता है संकट
इस रिट याचिका ने महिला प्रधान के पति को गांव के काम में हस्तक्षेप करने की मामले में हाईकोर्ट की टिप्पणी को जीता जागता उदाहरण साबित किया है, जिससे यूपी के 31212 ‘प्रधानों’ पर संकट आ सकता है। हाई कोर्ट ने यह बात बड़ी ही गंभीरता पूर्वक कही है।
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