Joram Review: मनोज बाजपेयी की फिल्म ‘जोरम’ थिएटर में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म को कई इंटरनेशनल फेस्टिवल में स्टैंडिंग ओवेशन मिले हैं। फिल्म में मनोज बाजपेयी के साथ-साथ जीशान अयूब और स्मिता तांबे प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
Joram Review: मनोज बाजपेयी एक बार फिर अपनी कलाकारी से लोगों के दिलों को जीतने आ गए है। इनकी फिल्म जोरम सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म मनोज बाजपेयी को नेशनल अवॉर्ड दिलाने वाली फिल्म ‘भोंसले’ बनाने वाले देवाशीष मखीजा ने बनाई है। जोरम उस दुनिया की दिल छूने वाली कहानी है, जिससे शहरों में रहने वाले लोग अनजान हैं।
Joram फिल्म की क्या है पूरी कहानी
आज के समय में ऑडियंस को अपनी तरफ खींचने के चक्कर में असली हिंदी सिनेमा कही गायब हो गई है। लेकिन जोरम एक ऐसी फिल्म है। जो एक उम्मीद बांधती है। इस कहानी में दसरू यानी मनोज बाजपेयी और उनकी पत्नी वानो यानी तनिष्ठा चटर्जी झारखंड के एक आदिवासी बस्ती में रहते थे।लेकिन इन्हे किसी कारण से मुंबई जाना पड़ता है जहाँ ये कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरी करने लगते है। इनकी तीन महीने की बेटी भी रहती है। फिर ट्राइबल विधायक फूलो करमा की नजर इनकी फैमिली पर पड़ती है जिससे बाद में वानो ही हत्या हो जाती है।
जिसका इल्जाम दसरू पर पड़ता है। जिसके बाद से कहानी शुरू होती है दसरू का पुलिस की नजर से बचते हुए अपनी 3 महीने की जोरम को लेकर अपने गांव भागने का रोमांचक सफर।
Joram फिल्म का डायरेक्शन और कहानी
देवाशीष मखीजा उन चंद निर्देशकों में से हैं, जो स्क्रीनप्ले और स्क्रिप्ट खुद लिखना पसंद करते हैं। फिल्म बनाने से पहले वो खुद कई सालों तक झारखंड में घूमें हैं। फिर उन्होंने इस पर किताब लिखी, इसपर शॉर्ट फिल्म बनाई और फिर उन्होंने ‘जोरम’ बनाने का फैसला लिया। फिल्म में सिर्फ बाप- बेटी का रिश्ता ही नहीं दिखाया गया है। बल्कि चंद पैसों के लिए जमीन बेचने वाले किसानों की मजबूरी, जमीन बेचने वालों पर जुल्म ढाने वाले माओवादी जैसे कई विषयों को देवाशीष ने छूने की कोशिश की है।
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