PM Vishvakarma Yojana : पूरे देश में 70 स्थानों पर विश्वकर्मा पूजा पर पीएम मोदी की सौगात मिलने वाली है. पीएम आज (17 सितबर) को पीएम विश्वकर्मा योजना को लॉन्च करेंगे. साथ ही रांची और पूर्वी सिंहभूम में भी यह योजना को लॉन्च किया जाएगा।
इससे लेकर कारीगर और विश्वकर्मा समाज में उत्साह का माहौल बना हुआ है. केंद्र सरकार की इस योजना से राज मिस्त्री, लोहार, धोबी, कुम्हार, फूलों का काम करने वाले, ताला चाबी बनाने वाले, मूर्तिकार, मछली का जाल बुनने वाले आदि को लाभ मिलेगा।
PM Vishvakarma Yojana : इस योजना का लॉन्च को लेकर रांची के मोरहाबादी स्थित आर्यभट्ट सभागार में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय अर्जुन मुंडा मौजूद रहेंगे. इसके अलावे श्रम नियोजन व कौशल विकास मंत्री सत्यानंद भोक्ता, सांसद संजय सेठ, सांसद सुदर्शन भगत, विधायक सीपी सिंह भी मौजूद रहेंगे।
क्या है प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना
PM Vishvakarma Yojana को पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना और PM VIKAS के नाम से भी जाना जाता है. प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना के अंतर्गत देश के शिल्पकारों और कारीगरों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी. इस योजना के तहत लाभ पाने के लिए न्यूनतम आयु 18 साल होनी चाहिए. इसके लिए परिवार के एक ही सदस्य इस योजना का लाभ आवेदन करने वालों को स्वघोषणा पत्र भी देना होगा. बता दें कि इस योजना का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर किया था।
सामाजिक जीवन में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हमारे हुनरमंद भाई-बहनों की खुशहाली और समृद्धि के लिए हम निरंतर प्रयासरत रहे हैं। इसी कड़ी में कल विश्वकर्मा जयंती के पावन अवसर पर हमें ‘पीएम विश्वकर्मा’ को शुरू करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। इस योजना से ना सिर्फ देशभर के कारीगरों और शिल्पकारों का कौशल निखरेगा, बल्कि हमारे इन परिवारजनों की बनाई चीजों को दुनियाभर में नई पहचान भी मिलेगी।
Vishvakarma Yojana का उद्देश्य।
PM Vishvakarma Yojana का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा या विश्वकर्मा की परिवार-आधारित प्रथा को मजबूत और पोषित करना है, जो अपने हाथों और उपकरणों से काम करने की पारंपरिक कौशल है। पीएम विश्वकर्मा का मुख्य फोकस कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार करना और यह सुनिश्चित करना है कि वे स्थानीय और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत हों।
Vishvakarma Yojana के है दो चरण।
PM Vishvakarma Yojana के दो चरण हैं, इस योजना के अंतर्गत पहला चरण में 1 लाख रुपये तक का लोन मिलेगा. इस पर ब्याज की दर अधिकतम 5 प्रतिशत होगी. वहीं, दूसरे चरण में योग्य श्रमिकों को दो लाख रुपए का रियायती कर्ज दिया जाएगा. बता दें, पीएम Vishvakarma Yojana के तहत लाभार्थियों को रियायती ब्याज दर पर कोलेटरल फ्री कारोबार विकास लोन के अलावा, ईआरयूपीआई या ई-वाइचर के द्वारा टूसकिट, प्रोत्साहन के तौर पर 15 हजार रुपये दिए जाएंगे।
Vishvakarma Yojana से किस वर्ग को लाभ होगा?
Vishvakarma Yojana पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी। पीएम विश्वकर्मा के अंतर्गत 18 पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया जाएगा। इन लोगों में शामिल हैं:
- सुथार
- एक नाव निर्माता
- एक हथियार निर्माता
- लोहार
- हथौड़ा और टूल किट निर्माता
- मरम्मत करनेवाला
- सुनार
- कुम्हार
- मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाले
- मोची (मोची)
- राजमिस्त्री
- टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/कॉयर बुनकर
- गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक)
- नाई
- माला बनाने वाले
- धोबी
- दर्जी
- मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले
2024 के चुनाव पर इसका क्या असर होगा?
महत्वपूर्ण बात यह है कि 2024 के चुनाव नजदीक आते ही देश भर में भारतीय गठबंधन दल लगातार जाति जनगणना की मांग उठा रहे हैं, जो बीजेपी के पक्ष में नहीं है. हालांकि, बीजेपी लगातार इस मांग को बेअसर करने की कोशिश कर रही है. सूत्रों का मानना है कि बीजेपी को उम्मीद है कि वह विश्वकर्मा योजना के जरिए अति पिछड़े समुदायों के शिल्पकारों और कारीगरों को आकर्षित करके ओबीसी पर अपनी पकड़ मजबूत कर सकेगी।
विशेषज्ञों का क्या कहना है?
जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में विश्वकर्मा योजना की घोषणा भी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी की रणनीति लगती है।
इंडिया गठबंधन के गठन के बाद, भाजपा को बड़े ओबीसी नेताओं अखिलेश यादव, लालू प्रसाद, तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार और भूपेश बघेल के माध्यम से उत्तर भारत में बड़े और अधिक शक्तिशाली ओबीसी समूहों का समर्थन हासिल करने की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
इसलिए पार्टी अब लोहार, बरहई, कहार, नाई और धोबी जैसे कई छोटे लेकिन संख्यात्मक रूप से बड़े पिछड़े समूहों के समर्थन को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। अत्यंत पिछड़े लोगों की संख्या लगभग 30 प्रतिशत हो सकती है।
भाजपा की नजर पिछले कुछ समय से दस्तकार जातियों या सर्वाधिक पिछड़ी जातियों (एमबीसी) के समर्थन पर है। यही कारण है कि प्रधान मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि विश्वकर्मा योजना पारंपरिक कारीगरों, विशेषकर ओबीसी समुदाय को मदद करेगी।
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