CAA के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मोदी सरकार को बड़ा झटका लगा है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने सीएए के खिलाफ दायर 200 से अधिक याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई की।
CAA के खिलाफ आज की सुनवाई में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 8 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई 9 अप्रैल को तय की। बता दें कि इस मामले की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ए न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ कर रही है।
CAA को लेकर याचिकाकर्ताओं की दलील
उच्चतम न्यायलय में कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि सीएए धर्म के आधार पर मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है। उन्होंने यह तर्क दिया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत ‘समानता के अधिकार’ का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ताओं में केरल की इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कुछ कानून के छात्र शामिल हैं।
CAA से नहीं जाएगी किसी की नागरिकता- गृहमंत्री
वहीं, सीएए के लागू होने के बाद देश के गृहमंत्री अमित शाह कई बार कह चुके हैं कि सीएए से नागरिकों के कानूनी, लोकतांत्रिक या धर्मनिरपेक्ष अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से नागरिकता संशोधन कानून और उसके नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने का अनुरोध किया है।
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