Raghav Chadha राज्यसभा सांसद को दिल्ली की पटियाला हाऊस कोर्ट जोर का झटका दिया है।
Raghav Chadha राज्यसभा सांसद को दिल्ली की पटियाला हाऊस कोर्ट के फैसले को दिल्ली हाइकोर्ट में चुनौती दी है। बता दें निजली अदालत ने राघव को टाइप-7 बंगले को लेकर किसी भी तरह का राहत देने से इंकार कर दिया था। कोर्ट से आए फैसले के बाद आप सांसद से किसी भी समय बंगला खाली करने के लिए कहा जा सकता है। लेकिन उससे पहले ये जान लेते है कि ये टाइप-7 बंगला किसके लिए होता है?
Raghav Chadha को कैसे मिला टाइप-7 बंगला
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि टाइप-7 बंगला ऐसे सांसदों को दिया जाता है जो, आमतौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्रियों, पूर्व राज्यपालों या पूर्व मुख्यमंत्री रहे हों। वहीं पहली बार सांसद बने नेताओं को आम तौर पर टाइप-5/6 बंगला दिया जाता है।
राघव चड्ढा को पिछले साल जुलाई में टाइप 6 बंगला दिया गया था और उन्होंने राज्यसभा के सभापति से बड़े टाइप 7 आवास के लिए गुजारिश किया। इसके बाद राघव चड्ढा को सितंबर में यह बंगला आवंटित किया गया था। हालांकि, मार्च में, सचिवालय ने यह तर्क देते हुए आवंटन रद्द कर दिया था कि पहली बार के सांसद उस ग्रेड के बंगले के हकदार नहीं थे।
Raghav Chadha को पटियाला हाऊस से लगा था झटका
हाल ही में शादी रचाने वाले आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को दिल्ली की पटियाला हाऊस कोर्ट जोर का झटका दिया है। कोर्ट ने अंतरिम आदेश में बदलाव करते हुए कहा था कि राघव चड्ढा यह दावा नहीं कर सकते कि आवंटन रद्द होने के बाद भी उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में सरकारी बंगले पर कब्जा कायम रखने का पूर्ण अधिकार है।
अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सुधांशु कौशिक ने 18 अप्रैल को पारित उस आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की जिसमें राज्यसभा सचिवालय को चड्ढा को सरकारी बंगले से बेदखल नहीं करने का निर्देश दिया गया था।
Raghav Chadha केस में क्या कहा था कोर्ट ने?
5 अक्टूबर को आए आदेश में जज ने कहा कि यह तर्क कि एक बार संसद सदस्य को दिया गया आवास सदस्य के पूरे कार्यकाल के दौरान किसी भी परिस्थिति में रद्द नहीं किया जा सकता है, खारिज करने योग्य है। कोर्ट ने कहा कि सरकारी आवास का आवंटन सांसद को दिया गया विशेषाधिकार है और आवंटन रद्द होने के बाद भी कब्जा जारी रखने का उन्हें अधिकार नहीं है।
टाइप-7 बंगले को लेकर दिल्ली की एक अदालत से उनके खिलाफ आए आदेश आदेश के बाद उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया है। याचिका को चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की पीठ के सामने सूचीबद्ध किया गया है, जिस पर बुधवार को सुनवाई होगी।
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