Supreme Court ने कोटा सुसाइड मामले को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने बच्चो में बढ़ रही आत्महत्या मामले को लेकर माता- पिता को जिम्मेदार ठहराया है।
Supreme Court ने बच्चो में बढ़ रही आत्महत्या मामले को लेकर उनके माता- पिता को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि कोटा सुसाइड मामले केवल उनके पैरेंट्स ही जिम्मेदार हैं न कि कोचिंग सेंटर्स। पैरेंट्स के दबाव में आके बच्चे खुदकुशी जैसे कदम उठा लेते हैं।
Supreme Court ने कहा पैरेंट्स ज्यादा उम्मीद लगा लेते है
Supreme Court शीर्ष अदालत मुंबई बेस्ड एक डॉक्टर अनिरुद्ध नारायण मालपानी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने बच्चों की आत्महत्या के लिए कोचिंग सेंटर्स को जिम्मेदार ठहराया था। जिसपर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बड़ा बयान दिया कि पैरेंट्स की चाहत की वजह से बच्चे मौत को गले लगा लेते हैं। माता पिता बच्चों से उसकी क्षमता से ज्यादा उम्मीद लगा लेते हैं।
24 छात्रों ने किया सुसाइड
बता दें कि इस साल राजस्थान के कोटा में नीट (NEET) और जेईई (JEE) की कोचिंग के लिए आने वाले 24 छात्र सुसाइड कर चुके हैं। यह आंकड़ा पिछले 8 सालों में सबसे ज्यादा है। सुसाइड के मामलों पर रोक लगाने के लिए कोचिंग संस्थानों से खास सिफारिशें भी की गई हैं। इसके बावजूद खुदकुशी के मामलों में गिरावट नहीं देखी जा रही है।
जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता में सुनवाई
जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि गलती बच्चों के माता पिता की है, कोचिंग संस्थानों की नहीं है। बता दें कि कोटा में जिन बच्चों ने खुदकुशी की है, उनकी उम्र 14-16 साल के बीच है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी याचिका में कोचिंक संस्थानों में मिनिमम स्टैंडर्ड रखने की भी बात कही थी। कोर्ट ने इसको लेकर कानून बनाने वाली बात से इनकार कर दिया।
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