Gold बेचकर जौहरी कैसे कमाते हैं पैसा: जानिए आम जनता के लिए उपयोगी जानकारी
Gold भारत में केवल आभूषण ही नहीं, बल्कि एक अहम निवेश का साधन भी है। जब भी कोई आर्थिक अनिश्चितता होती है, लोग सबसे पहले Gold की ओर रुख करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जौहरी, जो आपको Gold बेचते हैं, वे कैसे मोटा मुनाफा कमाते हैं? क्या उनका मुनाफा केवल मेकिंग चार्ज से होता है या इसके पीछे कोई और बड़ा व्यापारिक मॉडल छिपा है?
इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि जौहरी Gold बेचकर कैसे कमाते हैं पैसा, इसके पीछे की रणनीति क्या है और एक आम उपभोक्ता को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
1. Gold की कीमत में अंतर: जौहरी की पहली चाल
अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में Gold की कीमत हर दिन बदलती है। लेकिन जौहरी आम तौर पर रोज़ाना अपने रेट तय करते हैं। वे इसमें थोड़ा सा मार्जिन जोड़ते हैं ताकि उन्हें लाभ हो।
उदाहरण के तौर पर:
अंतरराष्ट्रीय दर ₹5,800/ग्राम है
लेकिन जौहरी आपको ₹6,100/ग्राम पर बेचता है
यानी ₹300/ग्राम का सीधा लाभ
अगर कोई ग्राहक 10 ग्राम Gold खरीदता है, तो जौहरी ₹3,000 अतिरिक्त कमा लेता है केवल रेट के अंतर से।
2. मेकिंग चार्ज: सबसे बड़ा लाभ का स्रोत
मेकिंग चार्ज यानी उस आभूषण को बनाने का शुल्क। अधिकतर जौहरी 8% से 25% तक मेकिंग चार्ज लेते हैं। कुछ बड़े ब्रांड तो इससे भी अधिक वसूलते हैं।
मान लीजिए आपने ₹60,000 का Gold खरीदा और 15% मेकिंग चार्ज लगा तो आपको ₹9,000 अतिरिक्त चुकाने होंगे।
यह मेकिंग चार्ज ही असल में जौहरी की कमाई का मुख्य हिस्सा होता है क्योंकि उसमें मटेरियल की लागत कम होती है और मुनाफा ज्यादा।

3. पुराना Gold खरीदने में भी होती है कमाई
अगर आप अपना पुराना Gold जौहरी को बेचने जाते हैं, तो वह आपको बाज़ार भाव से 5-10% कम रेट देता है। बाद में वही Gold मेल्ट कर के नए गहनों में उपयोग किया जाता है।
उदाहरण:
मार्केट रेट ₹6,000/ग्राम
जौहरी आपको देता है ₹5,500/ग्राम
फिर वही Gold नए रूप में ₹6,100/ग्राम पर बिकता है
यहां पर भी जौहरी को लगभग ₹600/ग्राम का लाभ हो जाता है।
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4. एक्सचेंज ऑफर: दिखावा या लाभ?
अक्सर जौहरी “पुराना Gold दो और नया गहना लो” जैसी स्कीम चलाते हैं। इसमें वे कहने को तो आपको मेकिंग चार्ज में छूट देते हैं, लेकिन असल में आपको आपके पुराने गहनों की पूरी कीमत नहीं दी जाती।
यह एक आकर्षक ऑफर लगता है लेकिन जौहरी इस माध्यम से अपने स्टॉक को तेजी से घुमा देता है और नई बिक्री करवा लेता है।
5. लॉयल्टी और ब्रांड वैल्यू: ग्राहकों की मानसिकता का फायदा
बड़े ब्रांड्स अपनी छवि और भरोसे के कारण अधिक कीमत वसूलते हैं। उपभोक्ता यह सोचकर भुगतान करता है कि वह गुणवत्ता और विश्वसनीयता के लिए अधिक दे रहा है।
परंतु वहीं दूसरी ओर, छोटे जौहरी सस्ते में समान गुणवत्ता दे सकते हैं, लेकिन ब्रांड वैल्यू के अभाव में वे उतना मुनाफा नहीं कमा पाते।
आम ग्राहकों के लिए जरूरी सलाह
हमेशा Gold का चालू रेट जांचें: खरीदने से पहले इंटरनेशनल और लोकल मार्केट का रेट ज़रूर चेक करें।
मेकिंग चार्ज की तुलना करें: अलग-अलग जौहरी का मेकिंग चार्ज पूछें और तुलना करें।
बिल ज़रूर लें: GST बिल लेने से टैक्स की जानकारी मिलती है और आगे चलकर बेचने में फायदा होता है।
पुराना Gold बेचने में सावधानी: पहले एक-दो जगह रेट पता करें, तभी निर्णय लें।
ज्वैलरी की शुद्धता की जांच: हॉलमार्क Gold ही खरीदें, जिसमें BIS स्टैम्प हो।
निष्कर्ष: जौहरी का व्यापार समझें, नुकसान से बचें
Gold का व्यापार कोई छोटा मोटा धंधा नहीं है, इसमें करोड़ों का निवेश और रणनीति लगती है। जौहरी अपने अनुभव, मार्केटिंग, ब्रांडिंग और चालाकी से अच्छा खासा लाभ कमाते हैं।
एक समझदार ग्राहक के तौर पर आपका कर्तव्य है कि आप जानकारी रखें और सोच-समझकर ही Gold खरीदें या बेचें। तभी आप जौहरी के जाल में फंसे बिना सही निर्णय ले सकेंगे।
आशा है कि यह ब्लॉग आपको जागरूक करने में मददगार साबित हुआ होगा। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो शेयर करें और हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब ज़रूर करें ताकि आपको ऐसे ही उपयोगी वित्तीय लेख मिलते रहें।
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— samachar lagatar (@Ronikyada) May 14, 2025
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