Huma Qureshi ने बॉलीवुड में उम्रवाद और गेटकीपिंग पर किया बड़ा खुलासा
बॉलीवुड इंडस्ट्री में जहां चकाचौंध और ग्लैमर की बात होती है, वहीं इसके पीछे कई कड़वे सच भी छिपे होते हैं। हाल ही में अभिनेत्री Huma Qureshi ने एक इंटरव्यू में इन सच्चाइयों से पर्दा उठाया है। उन्होंने खुलकर बताया कि कैसे उम्रवाद (Ageism) और गेटकीपिंग (Gatekeeping) जैसे मुद्दे इंडस्ट्री में महिलाओं के करियर को प्रभावित करते हैं।
क्या है उम्रवाद और गेटकीपिंग?
उम्रवाद का मतलब है कि व्यक्ति की उम्र के आधार पर उसके टैलेंट या स्कोप को सीमित कर देना। वहीं गेटकीपिंग उस प्रक्रिया को कहा जाता है जिसमें कुछ चुनिंदा लोग तय करते हैं कि कौन इंडस्ट्री में आगे बढ़ेगा और कौन नहीं।
Huma Qureshi ने क्या कहा?
Huma Qureshi, जो ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘महारानी’, ‘लीला’ जैसे प्रोजेक्ट्स में अपने दमदार अभिनय से जानी जाती हैं, ने इस मुद्दे पर बिना लाग-लपेट के बात की। उन्होंने कहा:
“बॉलीवुड में महिलाएं उम्र के साथ गायब कर दी जाती हैं। जब एक्ट्रेसेस 30 पार करती हैं, तो उन्हें लव इंटरेस्ट की भूमिका से हटा दिया जाता है और मां, बहन या एक्स्ट्रा रोल दे दिए जाते हैं।”
उन्होंने यह भी बताया कि कैसे पुरुष कलाकार 50 की उम्र में भी हीरो बने रहते हैं, जबकि महिलाएं 30 की होते ही ‘सीन से बाहर’ कर दी जाती हैं।

गेटकीपिंग: कौन है असली फैसले लेने वाला?
Huma Qureshi ने कहा कि इंडस्ट्री में एक ‘इनर सर्कल’ है जो तय करता है कि कौन से कलाकार को काम मिलेगा और किसे नहीं। उन्होंने बताया कि कई बार स्क्रिप्ट्स पढ़ने तक का मौका भी नहीं मिलता, क्योंकि ‘निर्णय पहले ही ले लिए जाते हैं।’
उन्होंने यह भी जोड़ा कि कुछ फिल्मी परिवारों से आने वाले लोगों को मौका देना, जबकि बाहर से आने वालों को नजरअंदाज करना इंडस्ट्री का पुराना पैटर्न है।
सोशल मीडिया और ओटीटी ने खोले नए दरवाज़े
हालांकि Huma Qureshi का मानना है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया ने नई प्रतिभाओं को सामने लाने का रास्ता खोला है। वे कहती हैं:
“अब वो समय नहीं रहा जब सिर्फ बड़े बैनर और स्टार किड्स को ही मौके मिलते थे। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने सबके लिए जगह बनाई है।”
वे अपने शो ‘महारानी’ का उदाहरण देती हैं, जहां उन्हें एक नॉन-ग्लैमरस लेकिन चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाने का मौका मिला और दर्शकों ने इसे सराहा भी।
महिलाओं को लेकर दृष्टिकोण बदलने की ज़रूरत
Huma Qureshi ने स्पष्ट रूप से कहा कि इंडस्ट्री को महिलाओं को लेकर अपना नजरिया बदलना होगा। सिर्फ ग्लैमर और सुंदरता ही नहीं, बल्कि प्रतिभा और समर्पण को भी महत्व दिया जाना चाहिए।
“मैं चाहती हूं कि महिलाएं किसी भी उम्र में, किसी भी भूमिका में चमकें। हमें उम्र से नहीं, अपने टैलेंट से जज किया जाना चाहिए।”
क्या ये बदलाव संभव है?
बॉलीवुड में हाल के वर्षों में कई महिला कलाकारों ने बोल्ड स्टेप्स लिए हैं और लीक से हटकर किरदार चुने हैं। विद्या बालन, तापसी पन्नू, शेफाली शाह जैसी अदाकाराएं इसका उदाहरण हैं। हुमा का मानना है कि यह बदलाव धीरे-धीरे हो रहा है, लेकिन इसके लिए अभी और काम करना बाकी है।
फैन्स और फॉलोअर्स की भूमिका
हुमा ने कहा कि दर्शकों की भूमिका सबसे अहम है। जब वे अच्छी कंटेंट और दमदार महिलाओं को सपोर्ट करेंगे, तभी इंडस्ट्री को मजबूरन बदलाव करना पड़ेगा।
“अगर ऑडियंस सिर्फ यंग, फेयर, स्लिम हीरोइनों को ही पसंद करेगी, तो मेकर्स भी वही दिखाएंगे। हमें दर्शकों की सोच में बदलाव लाना होगा।”
हुमा की अपील
Huma Qureshi ने सभी युवा और संघर्षरत कलाकारों को संदेश देते हुए कहा:
“अपनी पहचान खुद बनाओ। किसी गेटकीपर की इजाज़त का इंतज़ार मत करो। मेहनत, ईमानदारी और आत्म-विश्वास से रास्ते बनते हैं।”
निष्कर्ष
Huma Qureshi का बयान न केवल एक साहसी कदम है, बल्कि इंडस्ट्री के उस चेहरे को सामने लाता है जिसे अक्सर छिपा दिया जाता है। उम्रवाद और गेटकीपिंग पर खुलकर बात करना जरूरी है ताकि आने वाले समय में बॉलीवुड एक अधिक समावेशी और समान अवसर वाला क्षेत्र बन सके।
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