Dahod के दाउदी वहोरा समाज ने 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए “नो Mobile टच” प्रतिज्ञा ली है। यह पहल बच्चों में Mobile की लत को रोकने और उन्हें परिवार के साथ समय बिताने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए है। महिलाएं भी घर से इस पहल का समर्थन कर रही हैं. यह एक प्रेरक उदाहरण है जो अन्य समाजों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।

Dahod वाहोरा समाज की पहल: एक परिचय
दाउदी वाहोरा समाज ने महसूस किया कि बच्चों के बीच Mobile के बढ़ते उपयोग को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों को डिजिटल स्क्रीन से दूर रखना और उनके समय को पढ़ाई, खेल-कूद और सामाजिक गतिविधियों में लगाना है।
इस पहल के तहत, 15 साल से कम उम्र के बच्चों को संकल्प दिलाया जा रहा है कि Mobile का उपयोग नहीं करेंगे। इसके लिए समाज ने स्कूलों, माता-पिता और सामुदायिक संगठनों के साथ मिलकर काम किया है।
Mobile के उपयोग के दुष्प्रभाव
Mobile का अत्यधिक उपयोग बच्चों पर कई प्रकार से नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है:
शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- Mobile स्क्रीन पर अधिक समय बिताने से आंखों पर दबाव बढ़ता है।
- गलत मुद्रा में बैठने के कारण पीठ और गर्दन की समस्याएं हो सकती हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- अत्यधिक मोबाइल उपयोग से बच्चों में चिंता और अवसाद के लक्षण बढ़ सकते हैं।
- बच्चों का ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम हो सकती है।
शैक्षिक प्रदर्शन पर प्रभाव:
- Mobile गेम्स और सोशल मीडिया के कारण पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते।
- परीक्षा के परिणामों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सामाजिक कौशल पर प्रभाव:
- Mobile पर अधिक समय बिताने से बच्चों का सामाजिक दायरा सीमित हो जाता है।
- वे वास्तविक दुनिया में बातचीत करने में असहज महसूस कर सकते हैं।
दाउदी वाहोरा समाज की यह पहल बच्चों को स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने की दिशा में प्रेरित करती है। इस पहल के कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार:
- Mobile का उपयोग सीमित होने से बच्चों की आंखों और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
पढ़ाई में सुधार:
- बच्चों का ध्यान पढ़ाई और अन्य रचनात्मक गतिविधियों में केंद्रित होगा।
सामाजिक कौशल का विकास:
- बच्चे समाज के अन्य सदस्यों के साथ बेहतर संवाद और सहयोग सीख सकेंगे।
इस पहल को प्रभावी बनाने के लिए दाउदी वाहोरा समाज ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:
अभिभावकों की भागीदारी:
- माता-पिता को बच्चों के समय का प्रबंधन करने और उन्हें Mobile से दूर रखने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
सामाजिक जागरूकता:
- समाज ने बच्चों और अभिभावकों के बीच मोबाइल के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए।
वैकल्पिक गतिविधियाँ:
- बच्चों को पढ़ाई, खेल-कूद, और कला जैसी गतिविधियों में व्यस्त रखने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
स्कूलों की भागीदारी:
- स्कूलों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया गया है कि बच्चों को कक्षाओं और होमवर्क के दौरान Mobile का उपयोग न करना पड़े।
समाज की प्रतिक्रिया
इस पहल को समाज के विभिन्न वर्गों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। अभिभावकों ने इसे बच्चों के भविष्य के लिए एक उत्कृष्ट कदम बताया है। बच्चों ने भी इस पहल को अपनाने में रुचि दिखाई है और वे अधिक समय खेल-कूद और अन्य गतिविधियों में बिता रहे हैं।
निष्कर्ष
दाउदी वाहोरा समाज की ‘नो Mobile टच’ पहल बच्चों के भविष्य को संवारने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है। यह पहल न केवल बच्चों को मोबाइल के दुष्प्रभावों से बचाएगी, बल्कि उनके शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास में भी मदद करेगी। अन्य समुदायों को भी इस पहल से प्रेरणा लेकर अपने समाज में ऐसी योजनाएँ लागू करनी चाहिए।
इस पहल से यह साबित होता है कि यदि समाज और परिवार मिलकर काम करें, तो बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाया जा सकता है।
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