Operation Shield: चुनावी सुरक्षा के लिए 6 राज्यों में मॉक कमीशन शुरू
भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां चुनाव केवल मत डालने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि देश की दिशा तय करने का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। लेकिन जैसे-जैसे देश की राजनीति और तकनीकी व्यवस्था आधुनिक हो रही है, चुनावों में पारदर्शिता, सुरक्षा और दक्षता बनाए रखना एक चुनौती बनती जा रही है। इसी दिशा में भारत सरकार और चुनाव आयोग ने एक बड़ा कदम उठाया है — ‘Operation Shield’।
Operation Shield के तहत 6 राज्यों में मॉक कमीशन (Mock Commission) की शुरुआत की गई है। इसका उद्देश्य है चुनाव की तैयारियों को जांचना, चुनाव कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना और संभावित जोखिमों से निपटने की रणनीति बनाना।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि Operation Shield क्या है, मॉक कमीशन का क्या उद्देश्य है, किन राज्यों में इसे लागू किया गया है, और इसका असर भविष्य के चुनावों पर कैसे पड़ेगा।
Operation Shield क्या है?
Operation Shield भारत सरकार और चुनाव आयोग द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जा रहा एक विशेष सुरक्षा एवं प्रशिक्षण अभियान है। इसका मुख्य उद्देश्य है:
चुनावों में साइबर सुरक्षा, फिजिकल सुरक्षा और सूचना की पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
मतदान कर्मचारियों, पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारियों को संभावित खतरों और तकनीकी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करना।
मॉक कमीशन के जरिए वास्तविक चुनाव से पहले ड्राई रन करके सिस्टम को टेस्ट करना।
यह ऑपरेशन एक तरह का चुनावी ट्रायल रन है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि किसी राज्य में चुनाव शांतिपूर्वक और निष्पक्ष तरीके से कराए जा सकते हैं या नहीं।
मॉक कमीशन क्या होता है?
Mock Commission या मॉक कमीशन एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसमें चुनाव से पहले ही पूरे प्रशासनिक तंत्र को चुनाव जैसा वातावरण प्रदान कर उसकी तैयारी को जांचा जाता है।
इसमें शामिल होते हैं:
मतदान केंद्रों का नकली सेटअप
कर्मचारियों की नियुक्ति
EVM और VVPAT मशीनों का परीक्षण
सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा
मतदाता सूची का सत्यापन
सूचनाओं का रियल-टाइम आदान-प्रदान
इन 6 राज्यों में हुआ मॉक कमीशन का आयोजन
चुनाव आयोग ने उन राज्यों का चयन किया है, जहां अगले कुछ महीनों में लोकसभा या विधानसभा चुनावों की संभावना है, या फिर सुरक्षा चुनौतियां अधिक हैं। वे राज्य हैं:
1. पश्चिम बंगाल (West Bengal)
यह राज्य हमेशा चुनावी दृष्टि से संवेदनशील रहा है। यहां मॉक कमीशन में सुरक्षा बलों को विशेष ट्रेनिंग दी गई।
2. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)
देश का सबसे बड़ा राज्य होने के कारण यहां का चुनावी अभ्यास बेहद अहम है। मॉक कमीशन के जरिए बूथ लेवल प्रबंधन की जांच की गई।
3. झारखंड (Jharkhand)
यहां भौगोलिक और सामाजिक चुनौतियों को देखते हुए मॉक ड्रिल की गई ताकि आदिवासी इलाकों में सुचारू चुनाव हो सकें।
4. तेलंगाना (Telangana)
तेलंगाना में हाल ही में कई नई सीटों पर परिसीमन हुआ है। मॉक कमीशन से इन परिवर्तनों की प्रभावशीलता जाँची गई।
5. राजस्थान (Rajasthan)
राजस्थान में गर्मी और बड़े क्षेत्रफल को ध्यान में रखते हुए लॉजिस्टिक्स और मतदान टीमों की समीक्षा हुई।
6. ओडिशा (Odisha)
तटीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं की आशंका को देखते हुए मॉक कमीशन से आपातकालीन स्थितियों से निपटने की योजना बनाई गई।

मॉक कमीशन के मुख्य उद्देश्य
प्रशिक्षण (Training): मतदान अधिकारी, पुलिस और स्वयंसेवकों को चुनावी प्रक्रिया की व्यावहारिक जानकारी देना।
तकनीकी परीक्षण (Tech Testing): EVM और VVPAT मशीनों की कार्यक्षमता की जांच करना।
सुरक्षा रणनीति (Security Readiness): संभावित अराजकता, हिंसा या साइबर हमलों से निपटने की तैयारी।
बूथ स्तर योजना (Booth Planning): मतदाता केंद्रों पर भीड़ प्रबंधन, लाइन व्यवस्था, विकलांगों के लिए सुविधा आदि को चेक करना।
सूचना प्रवाह (Information Flow): अधिकारियों के बीच समय पर सूचनाओं के आदान-प्रदान का अभ्यास।
अधिकारियों और पार्टियों की प्रतिक्रिया
इस अभ्यास के दौरान कई राजनीतिक दलों और चुनाव अधिकारियों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा:
“मॉक कमीशन हमें उन खामियों को उजागर करने में मदद करता है जिन्हें हम सामान्य दिनों में नजरअंदाज कर देते हैं।”
राजनीतिक दलों ने भी इसका स्वागत किया क्योंकि इससे चुनावों में पारदर्शिता बढ़ती है और मतदाताओं का भरोसा भी।
आम जनता को क्या फायदा?
विश्वास बढ़ेगा: जनता को लगेगा कि सरकार और आयोग चुनाव को गंभीरता से ले रहे हैं।
रुचि जागेगी: जब लोग देखेंगे कि चुनाव में तकनीक और अनुशासन का पालन हो रहा है, तो उनकी भागीदारी बढ़ेगी।
भय कम होगा: मॉक ड्रिल से यह भी साबित होता है कि चुनाव सुरक्षित हैं, जिससे लोगों का डर घटेगा।
मॉक कमीशन में कौन-कौन शामिल हुआ?
जिला निर्वाचन अधिकारी (District Election Officers)
एसडीएम और तहसीलदार
पुलिस अधीक्षक और इंस्पेक्टर
निर्वाचन से जुड़े कर्मचारी
आईटी और लॉजिस्टिक्स टीम
BLO (Booth Level Officers)
स्थानीय स्वयंसेवी संगठन
भविष्य की रणनीति
भारत जैसे विशाल देश में चुनाव कराना किसी युद्ध संचालन से कम नहीं। इसलिए मॉक कमीशन एक ऐसी रणनीति है जो हर राज्य में हर चुनाव से पहले अपनाई जा सकती है।
चुनाव आयोग की योजना है कि आने वाले समय में हर राज्य में तीन स्तर पर मॉक कमीशन कराए जाएं:
ब्लॉक स्तर पर
जिला स्तर पर
राज्य स्तर पर
जनता के मन में उठते सवाल
Q1: क्या मॉक कमीशन में वोट डाले जाते हैं?
नहीं, यह केवल डमी वोटिंग प्रक्रिया होती है ताकि तकनीकी और प्रशासनिक व्यवस्था की जांच हो सके।
Q2: क्या यह समय और संसाधन की बर्बादी नहीं है?
बिलकुल नहीं। इससे वास्तविक चुनाव में गलती की संभावना कम होती है और जनता का भरोसा बढ़ता है।
Q3: क्या यह हर चुनाव से पहले होगा?
चुनाव आयोग की योजना है कि भविष्य में यह एक अनिवार्य अभ्यास बने।
निष्कर्ष: Operation Shield से लोकतंत्र को मिलेगी नई मजबूती
भारत का लोकतंत्र मजबूत तभी बन सकता है जब उसकी बुनियादी प्रक्रिया — चुनाव — निष्पक्ष, सुरक्षित और व्यवस्थित हों। Operation Shield और मॉक कमीशन इसी दिशा में एक ठोस कदम हैं।
ये अभ्यास न केवल चुनाव आयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी साबित करते हैं कि लोकतंत्र केवल मतदाता ID दिखाकर वोट डालना नहीं, बल्कि एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया है जिसे समय-समय पर जांचा और सुधारा जाना चाहिए।
- और पढ़े
- World Athletics Championships: गोल्डन बॉय Neeraj Chopra ने फिर किया कमाल, वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में मेरी एंट्री, टूट सकता है ये रिकॉर्ड
- PM Modi को Greece में मिला सर्वोच्च सम्मान, राष्ट्रपति कैटरीना को ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया गया
- Rahul Gandhi ने कारगिल में कहा ‘भारत जोड़ो’ का संदेश, BJP-RSS पर साधा निशाना
- Malaika-Arjun : Arjun Kapoor संग डेटिंग की खबरों पर Kusha Kapila ने तोड़ी चुप्पी, एक्ट्रेस ने बताया क्या है सच
- National Film Awards : बेस्ट फिल्म रॉकेट्री, अल्लू अर्जुन बेस्ट एक्टर और आलिया-कृति बेस्ट एक्ट्रेस, गुजराती फिल्में भी शामिल रहीं