Qatar में 8 भारतीयों को मौत की सजा सुनाये जाने के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उनके परिवार वालों से मुलाकात की है।
Qatar में फांसी की सजा पाने वाले 8 भारतीयों के परिवार वालों से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को मुलाकात की। इस बात की जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट के माध्यम से दी। मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा कि इस बात पर जोर दिया गया कि भारत सरकार मामले को सर्वोच्च महत्व दे रही है और सभी भारतीयों की सजा रोकने के लिए तेजी से काम कर रही है।
सूत्रों का कहना है कि Qatar की अदालत से भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को मौत की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद, भारत फैसले के खिलाफ अदालत में अपील करने समेत विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है।
Qatar से 8 भारतीयों की रिहाई का प्रयास कर रही सरकार
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट के माध्यम से बताया, “आज सुबह कतर में हिरासत में लिए गए 8 भारतीयों के परिवारों से मुलाकात की। इस बात पर जोर दिया कि सरकार मामले को सर्वोच्च महत्व देती है। परिवारों की चिंताओं और दर्द को साझा किया। परिवारजनों से बातचीत के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि सरकार उनकी रिहाई के लिए सभी प्रयास करना जारी रखेगी। उस संबंध में परिवारों के साथ निकटता से समन्वय करेंगे।”
कूटनीतिक या राजनीतिक तौर पर भी सुलझाने की तैयारी
सूत्रों ने कहा कि मुद्दे का समाधान खोजने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। पता चला है कि भारत को कतर की अदालत के फैसले की प्रति अभी तक नहीं मिली है। अदालत के फैसले पर कतर की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई है। मामले से वाकिफ लोगों ने कहा कि फैसले की गहन जांच के बाद नयी दिल्ली अपने विकल्पों पर आगे बढ़ेगी। सूत्रों ने बताया कि भारत मामले को कूटनीतिक या राजनीतिक तौर पर भी सुलझाने पर विचार कर सकता है।
इन 8 लोगों को मिली है सजा-ए-मौत
Qatar की अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद विदेश मंत्रालय ने इस फैसले पर हैरानी और एतराज जताया था। मंत्रालय ने कहा कि वो इस फैसले से स्तब्द हैं और कानूनी विकल्प तलाश रही है। बता दें कि पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों में कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश शामिल हैं।
ये सभी लोग अपनी रिटायरमेंट के बाद दोहा की एक कंपनी में काम करते थे, जिसके काम से वो कतर गए थे। इन भारतीयों पर इजरायल के लिए कतर के सबमरीन प्रोजेक्ट की गुप्त जानकारी चुराने का आरोप लगा है।
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